जानिए शतक पूरा करने से पहले क्यों नर्वस थे मयंक अग्रवाल, शास्त्री ने उन्हें दी कौन सी सलाह

Mayank Agarwal
दोहरा शतक जड़ने के बाद जश्न मनाते मयंक अग्रवाल

विशाखापट्टनम: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच विशाखापट्टनम में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच का दूसरा दिन 28 वर्षीय मयंक अग्रवाल के लिए बेहद यादगार रहा। पहले तो उन्होंने अपने पहले दिन के 84 से स्कोर को शतक में तब्दील कर दिया। इसके बाद इस बारी को डबल सेंचुरी में तब्दील कर धमाल मचा दिया। उन्होंने पहले विकेट के लिए रोहित शर्मा के साथ 317 रन की रिकॉर्ड साझेदारी की और 215 रन की धमाकेदार पारी खेलकर पहली पारी में टीम इंडिया को 7 विकेट पर 502 रन तक पहुंचा दिया।

करियर का पहला शतक जड़ने वाले मयंक अग्रवाल मैच के पहले दिन जब 70 रन के स्कोर पर थे तब बेहद नर्वस थे। दुर्भाग्यवश अपनी पारी को सधे हुए अंदाज में आगे बढ़ा रहे थे लेकिन पहला शतक जड़ने की व्याकुलता उन्हें परेशान कर रही थी। गुरुवार को दोहरा शतक जड़ने के बाद मयंक अग्रवाल ने खुलासा किया कि उन्हें अच्छी तरह नींद नहीं आई वो रोज की अपेक्षा गुरुवार को जल्दी उठ गए।

मयंक ने बीसीसीआई टीवी को दिए इंटरव्यू में साथी खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे को बताया, बुधवार को 70 रन बनाने के बाद मैं नर्वस था। मैं इससे पहले दो बार ऑस्ट्रेलिया में 70 रन के करीब पहुंचा लेकिन अपनी पारी को शतक में तब्दील नहीं कर सका। ऐसे में मैंने मन में सोचा कि एक बार अच्छी शुरुआत मिल गई तो शतक बनाना जरूरी है।

वहीं टीम के हेड कोच रवि शास्त्री ने घर पर पहला टेस्ट खेलने से पहले मयंक पर विश्वास जताते हुए कहा, यहां एक बार तुम्हें अच्छी शुरुआत मिलेगी तो मुझे विश्वास है कि तुम बड़ा स्कोर बनाओगे। उन्होंने मुझे पारी की शुरुआत थोड़ा संभलकर करने को कहा था। लेकिन पहले दिन जब मैं 84 रन पर बनाकर खेल रहा था तब दुर्भाग्यवश बारिश आ गई। लेकिन आज( गुरुवार) को मैं थोड़ा जल्दी उठ गया। क्योंकि मेरे दिमाग में बहुत सी बातें आ रही थीं। क्या मैं अपना पहला शतक बना पाऊंगा या नहीं। इस बारे में मैं थोड़ा सजग और नर्वस था।’

शतक जड़ने के बार उसे दोहरा शतक में तब्दील करने का अनोखा कारनामा उन्होंने घर पर अपनी पहली टेस्ट पारी में कर दिखाया। ऐसे में शतक को दोहरे शतक में तब्दील करने के जुदा अंदाज के बारे में उन्होंने कहा, शतक पूरा करने के बाद मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि अलग हो गईं इसके बाद उन्होंने दूसरी नई गेंद भी ले ली। ऐसे में तब मेरी कोशिश थी कि हम कोई विकेट ना गंवाएं। यदि ऐसा हो भी तो उस खिलाड़ी को 15 से 20 ओवर पुरानी गेंद खेलने को मिले और उन्हें बल्लेबाजी में आसानी हो। ऐसा करने में मैं सफल हुआ इस बात की मुझे बेहद खुशी है।

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