इन दो घटनाओं ने बदल दी विराट कोहली की जिंदगी

Australia v India - 1st Test: Day 5एक कहावत है कि पूत के पांव पालने में नजर आ जाते हैं। इसका मतलब किसी भी व्यक्ति की प्रतिभा का अंदाजा शुरूआती दौर में ही हो जाता है। जी हां विराट कोहली आज भारत के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ी हैं लेकिन दो घटनाएं उनके क्रिकेटिंग करियर के लिए बेहद अहम साबित हुईं। जिसे देखकर उनके कोच राजकुमार शर्मा को यह यकीन हो गया कि यह लड़का एक दिन बड़ा क्रिकेटर बनेगा। इन बातों का खुलासा विजय लोकपल्ली ने विराट की बॉयोग्राफी – ड्रिवन: द विराट कोहली स्टोरी में लिखा है।

वह 30 मई 1998 का दिन था जब विराट के पिता प्रेम कुमार कोहली उन्हें राज कुमार शर्मा की वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादमी में कोचिंग के लिए ले गए थे। पहली नजर में राज कुमार को नौ साल के इस ‘गोल-मटोल’ लड़के में कुछ भी खास नजर नहीं आया। ज्यादातर बच्चों की तरह वह भी अधीर, जुनूनी और नेट्स में कुछ करने को उत्सुक था। उन्हें तब कुछ भी बहुत खास नजर नहीं आया।एक दिन विराट ने एक ऐसा थ्रो किया जिसे देखकर राजकुमार शर्मा और उनके सहायक सुरेश बत्रा हैरान रह गए। यह थ्रो बाउंड्री से सीधा विकेटकीपर के दस्तानों में गया था।’ उस वक्त विराट केवल नौ साल के थे लेकिन उस थ्रो की ताकत और सटीकता से इन दोनों को अंदाजा हो गया कि उसमें एक खूबी तो है।

इसके बाद, हैरान कर देने वाला दूसरा लम्हा आया। कुछ दिन वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादमी पर आने के बाद विराट स्प्रिंगडेल्स स्कूल में अंडर-14 मैच खेल रहे थे। विराट के बल्ले से निकले एक शानदार छक्के को देखकर उनके दोनों कोच हैरान रह गए। बत्रा ने कहा, ‘हम प्लेमेकर्स एकेडमी के खिलाफ खेल रहे थे, यह मुकाबला मैटिंग विकेट पर था। इस लड़के ने बड़ी आसानी से गेंद को पिक किया और उसे मिड-विकेट के ऊपर से छक्के के लिए भेज दिया। 10 साल से भी छोटी उम्र के लड़के के लिए यह एक शानदार शॉट था। ये वे दो लम्हे थे जिन्होंने कोच राजकुमार शर्मा और उनके सहायक सुरेश बत्रा को यकीन दिला दिया कि 9 साल के इस लड़के में गजब प्रतिभा है। इसके बाद कोच ने विराट पर ध्यान लगाने में जरा भी देर नहीं की। इन दो घटनाओं ने विराट को लेकर राजकुमार शर्मा के नजरिए को पूरी तरह बदल दिया।

लोकपल्ली ने अपनी किताब में लिखा है कि इस मैच ने राज कुमार और बत्रा को यकीन दिला दिया कि इस युवा लड़के में गजब प्रतिभा है जिसे सही तरीके से निखारने की जरूरत है। इस किताब के जरिये एक मजेदार बात यह भी पता चलती है, ‘वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, आशीष नेहरा, शिखर धवन, इशांत शर्मा और विराट कोहली में एक बात समान है कि ये सभी पश्चिमी दिल्ली से ताल्लुक रखते हैं। यह राजधानी दिल्ली का वह इलाका है जहां जगह की कमी है और आबादी बहुत घनी है।

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