भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रितु रानी ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने का ऐलान किया है। अब रितू रानी भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी। उन्होंने यह फैसला 20 सितंबर को लिया और इस संबंध में पत्र हॉकी इंडिया को भेज दिया। रितू रानी इस बात से आहत थी कि हॉकी इंडिया ने बिना किसी वजह उन्हें रियो ओलंपिक की टीम से बाहर कर दिया। ओलंपिक से बाहर किए जाने की टीस रितू को बहुत थी। लेकिन बिना वजह कई तरह के ईशू बनाए गए जबकि उनकी कोई गलती नहीं थी। रितु ने कहा कि अर्जुन पुरस्कार के लिए भी उनका नाम लगभग तय था लेकिन उसके साथ पक्षपात हुआ। वह इसे भी अन्याय ही मानती हैं।
रितू ने कहा कि अब वह प्रदेश व अपने विभाग की तरफ से हॉकी जरूर खेलेंगी लेकिन कभी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व नहीं करेगी क्योंकि हॉकी इंडिया ने उन्हें अकारण ओलंपिक से बाहर करके ऐसा दु:ख दिया है जिसकी पीड़ा असहनीय है। इस वजह से उन्होंने संन्यास का फैसला किया है।
रितु को भोपाल में 18 सितंबर से 20 अक्तूबर तक लगने वाले हॉकी इंडिया के कैंप में बुलाया गया था लेकिन उन्होंने कैंप में आने से मना कर दिया और अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया। रितु ने कहा कि उनके इस फैसले का उनके पति हैश के साथ-साथ उन सभी हॉकी प्रेमियों ने भी स्वागत किया है जो यह जानते हैं कि ओलंपिक में उनके साथ पक्षपात हुआ है।
रितु रानी ने कहा कि वह भारतीय टीम के लिए खेलना चाहती थीं लेकिन बिना कारण ओलंपिक से बाहर किए जाने के दर्द के कारण उन्हें भारतीय टीम से मुंह मोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा कि वह हॉकी इंडिया से यहीं चाहती हैं कि ऐसा किसी अन्य खिलाड़ी के साथ न हो जो उनके साथ हुआ। क्योंकि हॉकी इंडिया के जल्दबाजी व गलफत में लिए गए निर्णय के कारण वह ओलंपिक से बाहर हुईं और इसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहना पड़ा। अब वह अपने प्रदेश व विभाग के लिए खेलने के साथ-साथ नए खिलाड़ियों को तैयार करने का काम भी करेंगी।