ऐसा बहुत कम होता है कि एक ही प्रतियोगिता में कोई रिकॉर्ड एक दिन में दो बार टूटे। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित 56वीं राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स स्पर्धा में बुधवार को ऐसा हुआ। रविंदर सिंह खैरा और शिवपाल सिंह ने जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) स्पर्धा में ऐसा ही कर दिखाया है। चोट से उबरकर वापसी करते हुए रविंदर ने 79.04 मीटर भाला फेंकते हुए नया मीट रिकॉर्ड स्थापित किया जो कि नीरज चोपड़ा के नाम दर्ज था। पिछले साल नीरज ने 77.67 मीटर दूरी तक भाला फेंककर नया रिकॉर्ड स्थापित किया था। दूसरे नंबर पर रहे शिवपाल ने 77.72 मीटर भाला फेंका। रविंदर का पुराना बेस्ट 78.11 मीटर था। इतनी दूरी तक भाला इन्होंने इसी साल हैदराबाद में आयोजित अंतरराज्यीय स्पर्धा में फेंका था।
नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित करने के बाद रविंद्र ने कहा कि मैंने कोच गैरी कॉलवर्ट के साथ अपनी तकनीक में कुछ बदलाव किए हैं। मैंने हीट के दौरान भी इन बदलावों के साथ ज्यादा दूर तक भाला फेंकने की कोशिश की लेकिन मैं अपना संतुलन सही नहीं रख पाया। लेकिन आज मैंअपनी कोशिश में सफल रहा।
ऑस्ट्रेलिया के गैरी कॉलवर्ट इसी साल जनवरी में भारतीय टीम के साथ जुड़े थे। उनका नीरज चोपड़ा के अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप की जैवलिन थ्रो स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने में अहम भूमिका रही है।
रविंदर ने कहा कि उनका लक्ष्य 80मीटर की दूरी को पार करना है। रविंदर ने यह बात स्वीकार की कि वह नई तकनीक को सही और नियमित रूप से कार्यान्वित नहीं कर पाए हैं। फिलहाल वह किसी एक प्रतियोगिता को लक्ष्य बनाकर तैयारी नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फिलहाल उनका मुख्य रउद्देश्य नई तकनीक पर काम करना है और इसके लिए वह कॉलवर्ट के साथ कड़ा अभ्यास कना है। यदि मैं नियमित रूप से ऐसा करने में सफल रहा तो परिणाम अपने आप आने लगेंगे,प्रतियोगिता चाहे कोई भी हो।
रविंदर साल 2009 से 2013 के बीच ऑस्ट्रेलिया में रहे हैं। वहां मोटर मैकेनिक का डिप्लोमा करने के साथ-वह टैक्सी चलाते थे और भाला फेंक का प्रशिक्षण भी हासिल कर रहे थे। 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान वह चोटिल हो गए थे। 30 वर्षीय रविंदर ने कुछ समय के लिए अभ्यास करना बंद कर दिया था, लेकिन इस दौरान रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (आरएसपीबी) ने लगातार उनका सहयोग किया।
रविंदर ने कहा कि भारत में यह रिवाज नहीं है कि आप अपने छोटों से प्रेरणा लें, लेकिन मुझे लगता है कि नीरज ने ऐसा कारनामा किया है जो पूरे भारतीय एथलेटिक्स जगत के लिए प्रेरणादायक है। एक 19 साल का युवा अगर विश्व चैंपियन है तो वह अपनी मेहनत के बल पर है। यह स्वीकार करने में मुझे कोई शर्म नहीं है कि उसने भारतीय एथलीट्स के लिए एक नया मानक स्थापित कर दिया है। अब मैं भी ऐसा ही कुछ करना चाहता हूं।