हिंदी में सोहन लाल द्विवेदी की एक कविता है ‘ कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’। यह कविता भारत की 24 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु पर पूरी तरह सही साबित हुई है। स्विटजरलैंड के बासेल में आयोजित विश्व चैंपियनशिप 2019 में महिला एकल का खिताब जीतकर सिंधु ने जो कारनामा कर दिखाया जो उनसे पहले और कोई भारतीय नहीं कर सका था। साल 2016 में रियो ओलंपिक में बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा का रजत पदक जीतकर इतिहास रचने वाली पुरुसेला वेंकट सिंधु वर्ल्ड चैंपियनशिप खिताब जीतने वाली पहली भारतीय भी हैं। सिंधु ने अपनी अपनी जिद और कभी हार न मानने वाले जज्बे के बल पर जो उपलब्धि हासिल की उससे पूरा देश गौरान्वित है। यह सिंधु की नहीं पूरे देश की जीत है।
साल 2018 में चीन के नानजिंग में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में खिताबी मुकाबला ओलंपिक चैंपियन कैरोलीना मरीन के खिलाफ गंवाने के बाद आंसुओं के सैलाब में डूबने वाली सिंधु ने एक साल बाद आलोचकों को करारा जवाब देने में सफल हुईं। लगातार तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची सिंधु ने धमाकेदार अंदाज में जापान की नोजोमी ओकुहारा को महज 36 मिनट में 21-7, 21-7 के अंतर से मात देकर खिताब अपने नाम कर लिया। इसके साथ ही वो अपने देश के लिए बैडमिंटन का विश्व चैंपियनशिप खिताब जीतने वाली पहली शटलर बनीं।
इसके साथ ही उन्होंने साल 2017 में ग्लासगो में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में नोजोमी ओकुहारा के खिलाफ एक घंटे 50 मिनट (110 मिनट) लंबे खिताबी मुकाबले में मिली हार को भी पीछे छोड़ दिया। 2 साल पहले सिंधु ‘गोल्डन गर्ल’ बनने के बेहद करीब पहुंच गईं थीं लेकिन ओकुहारा ने उनके इस ख्वाब को पूरा नहीं होने दिया। इसके बाद साल 2018 में कैरोलीना मरीन रियो ओलंपिक के बाद एक बार फिर उनकी राह का रोड़ा साबित हुईं। लेकिन इस बार फिजा पूरी तरह बदली हुई थी। सारा स्टेडियम सिंधु-सिंधु की आवाज से गूंज रहा था। स्टेडियम में मौजूद 9 हजार से ज्यादा दर्शक सिंधु को इतिहास रचता देख रहे थे। उन्होंने ने भी अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया और धमाकेदार खेल का मुजाहिरा पेश करते हुए विरोधी खिलाड़ी को कोई मौका नहीं दिया।
क्या सिंधु कभी गोल्ड मेडल जीत पाएंगी? यह सवाल पिछले तीन साल से उनके सामने यक्ष प्रश्न की तरह खड़ा था। लेकिन सिंधु ने इस सवाल का जवाब देरी से सही लेकिन दुरुस्त अंदाज में दिया। ओकुहारे के खिलाफ खेल के हर पहलू में सिंधु बेहतर साबित हुईं। चाहे वो अटैक करना हो या डिफेंस या फिर लंबी रैली भारतीय स्टार ने पूर्व विश्व चैंपियन को धूल चटाते हुए यह मैच अपने नाम कर लिया। सिंधू ने पूर्व विश्व चैंपियन ओकुहारा को ऐसे मात दी जैसे वो पूर्व विश्व चैंपियन के खिलाफ नहीं बल्कि किसी नई और गैरअनुभवी खिलाड़ी के खिलाफ खेल रही हों।
रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद सिंधु अधिकांश बड़ी स्पर्धाओं के फाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहीं लेकिन तीन साल के अंतराल एक भी खिताब अपने नाम नहीं कर सकीं थीं। उन्हें सभी स्पर्धाओं में रजत पदक से संतोष करना पड़ा। ऐसे में कोच किम द्वारा पिछले तीन महीने में सिंधु के खेल में सुधार के लिए की गई मेहनत बासेल में दिखाई दी। चीनी खिलाड़ी ताई जू यिंग के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में जीत के लिए उन्हें पसीना बहाना पड़ा। इस मुकाबले को अपने नाम करने में सिंधू को 71 मिनट का वक्त लगा। इसके अलावा फाइनल सहित अन्य सभी मुकाबलों को भारतीय स्टार ने 45 मिनट से भी कम समय में अपने नाम करने में सफल रही। विश्व चैंपियनशिप में सिंधु के धमाकेदार खेल और दबदबे का ने केवल एक गेम गंवाया।
मेरे और देश के लिए गर्व का पल
विश्व चैंपियन बनने के बाद सिंधु ने कहा, मैं इस जीत बेहद खुश हूं। इस पल का मुझे लंबे समय से इंतजार था। यह मेरे लिए और मेरे देश के लिए गर्व का पल है। मुझे भारतीय होने पर गर्व है। यह जीत उन सभी लोगों के लिए जवाब है जो लगातार मुझसे सवाल पूछ रहे थे। लेकिन मैं उन सभी को अपने खेल और रैकेट से जवाब देना चाहती थी और अब मैंने अपना काम कर दिखाया।
जब मैनें पहली बार अपने नाम के साथ ‘विश्व चैंपियन’ कहते सुना तब मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मेडल सेरेमनी के दौरान जब राष्ट्रगान के साथ तिरंगे झंडे को लहराते देखा उस पल का बखान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। इस पल के लिए मैंने लंबा इंतजार किया।
क्या है अगला लक्ष्य
विश्न चैंपियन बनने के बाद सिंधु से जब यह पूछा गया कि उनका अगला लक्ष्य क्या हो तो उन्होंने इसके जवाब में कहा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतना मेरा लक्ष्य है। लोग इस बारे में मुझसे अभी से सवाल पूछले लगे हैं। इस जीत से मुझे बहुत प्रेरणा मिलेगी। बैडमिंटन मेरा पैशन है और मुझे लगता है कि मैं और खिताब जीत सकती हूं।’
पहली बार विश्व चैंपियशिप के फाइनल में हार का सामना करने के बाद मुझे बहुत बुरा लगा था। पिछली बार हार के बाद मैं खुद से बेहद नाराज थी और खुद से पूछ रही थी कि तुम ये एक मैच क्यों नहीं जीत सकीं? लेकिन इस बार जब मैं खिताबी मुकाबले के लिए मैदान पर पहुंची तो खुद से कहा कि मैं बेखौफ होकर अपना खेल खेलूंगी और यह काम कर गया।
सिंधु को ‘गोल्डन गर्ल’ बनाने में इनका है हाथ
सिंधु ने विश्व चैंपियन बनने के बाद अपनी जीत का श्रेय अपने माता-पिता, कोच पुलेला गोपीचंद के साथ मिस किम को दिया। दो साल पहले जिस नोजोमी ओकुहारे के खिलाफ 1 घंटे 50 मिनट लंबे मैराथन मुकाबले में सिंधू को हार का सामना करना पड़ा था उसे दमदार तरीके से उन्होंने महज 38 मिनट में बगैर कोई मौका दिए ढेर कर दिया। विश्व चैंपियनशिप के इन दोनों खिताबी मुकाबलों में सिंधु के खेल में जमीन आसमान का फर्क था। उनके खेल में इस अंतर की वजह दक्षिण कोरिया की पूर्व खिलाड़ी किम हैं।
साल 1994 में हिरोशिमा एशियाई खेलों में बैडमिंटन की महिला एकल का स्वर्ण पदक जीतने वाली दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी को अप्रैल में भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया है। उन्हें मुख्य रूप से साइना नेहवाल और पीवी सिंधू जैसे दिग्गज खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी दी गई है। मिस किम की देखरेख में सिंधू के खेल में तेजी से सुधार हुआ। उन्होंने सिंधु के नेट गेम पर काम किया और अपने खेल के मजबूत पक्ष के साथ खेलने को कहा। इन सुधारों की झलक फाइनल मुकाबले में सिंधु खेल में भी दिखाई दी।
राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने भी कहा था कि उन्हें कई खिलाड़ियों के खेल पर ध्यान देना होता है। इसलिए उन्होंने किम को टीम के साथ जोड़ने की पहल की थी जिसका परिणाम सिंधु के विश्व चैंपियन बनने के रूप में मिला। किम ने विश्व चैंपियनशिप के दौरान कहा था कि सर्वोच्च स्तर पर आपको स्मार्ट बनाना पड़ता है। यह आपके प्रहार, तकनीक और मानसिक स्तर पर मजबूती पर निर्भर करता है। फिलहाल हम नेट्स स्किल्स, डिसेप्शन और नीतिगत बदलाव पर काम कर रहे हैं। क्योंकि सभी मुकाबलों में आप एक जैसी रणनीति के साथ मैदान पर नहीं उतर सकते हैं।
रियो ओलंपिक के बाद सिंधु का प्रदर्शन
स्पर्धा खिलाड़ी साल पदक
रियो ओलंपिक कैरोलिना मरीन 2016 सिल्वर मेडल
राष्ट्रमंडल खेल साइना नेहवाल 2018 सिल्वर मेडल
एशियाई खेल ताइ जू यिंग 2018 सिल्वर मेडल
वर्ल्ड चैंपियनशिप नोजोमी ओकुहारा 2017 सिल्वर मेडल
वर्ल्ड चैंपियनशिप कैरोलीना मरीन 2018 सिल्वर मेडल
वर्ल्ड चैंपियनशिप नोजोमी ओकुहार 2019 गोल्ड मेडल
विश्व चैंपियनशिप में सिंधु का प्रदर्शन
साल वेन्यू पदक
2013 कोपनहेगन कांस्य
2014 ग्वांगजू कांस्य
2017 ग्लास्गो रजत
2018 नानजिंग रजत
2019 बासेल गोल्ड