
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आजकल करिश्माई प्रदर्शन कर रहे हैं। धोनी के क्रिकेट करियर के लिए श्रीलंका दौरा संजीवनी साबित हुआ। श्रीलंका में धोनी का बल्ला ऐसा चला कि वनडे सीरीज में हर किसी का ध्यान महेंद्र सिंह धोनी की ओर चला गया जिन्होंने सीरीज के दूसरे और तीसरे वनडे में निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया को जीत दिलाई। पूरी सीरीज में वो एक बार भी आउट नहीं हुए।
बतौर कप्तान आईसीसी के सभी खिताब जीतने वाले दुनिया के इकलौते कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इसी साल जनवरी में कप्तानी छोड़ दी। मैदान के भीतर उनके लिए निर्णयों की तरह मैदान के बाहर लिए इस निर्णय पर भी लोगों को अचंभा हुआ। लेकिन उन्होंने कप्तानी छोड़कर अपने कंधों पर लगातार बढ़ रहे बोझ को कुछ कम करने की कोशिश की। कप्तानी के बोझ से मुक्त होने का असर अब 9 महीने बाद दिखाई भी दे रहा है।
टीम इंडिया की कप्तान छोड़ने के बाद धोनी ने 19 वनडे की 14 पारियों में 7 बार नाबाद रहते हुए 627 रन बनाए। इस दौरान उनका औसत 89.57 और स्ट्राइक रेट 85.65 रहा। कप्तानी छोड़ने के बाद उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली में एक शानदार शतक(134) भी जड़ा। इसके अलावा उन्होंने पांच अर्धशतक भी अपने नाम किए। पिछली पांच वनडे पारियों में धोनी ने 79, 1*, 49*, 67*, 45* रन बनाए हैं। चेन्नई में भी वो पारी की एक गेंद शेष रहते पवेलियन लौटे थे। श्रीलंका दौरे पर तो वो एक बार भी आउट नहीं हुए।
साल 2015 और 2016 में धोनी ने क्रमशः 20 और 13 वनडे खेले थे। 2015 में वो 45.71 की औसत से 640 और 2016 में 27.80 की औसत से महज 278 रन बना सके थे। 2015 में तो वो 3 बार नाबाद रहे थे लेकिन 2016 में वो एक बार भी नाबाद पवेलियन नहीं लौटे। इन दो सालों में वो कुल 5 अर्धशतक जड़ सके। इस दौरान उनका अधिकतम स्कोर नाबाद 92 रन था। धोनी को शायद ये बात समझ में आ गई थी कि कप्तानी उनकी बल्लेबाजी पर असर डाल रही है ऐसे में उन्होंने कप्तानी छोड़ अपने खेल पर ध्यान लगाने का मन बनाया। कप्तानी छोड़ने को इमोशनल निर्णय बताने वालों को भी अब उनका ये निर्णय सही नजर आ रहा है।
कप्तानी छोड़ने के बाद भी बल्लेबाजी में अपने उसी शांत अंदाज में नजर आए और एक बार फिर टीम के लिए फिनिशर या कहें एंकर की भूमिका अदा की। जब-जब टीम इंडिया परेशानी में आई ‘विराट सेना’ के लिए धोनी ने संकटमोचक की भूमिका अदा की।
श्रीलंका से भारत लौटने के बाद भी उनकी बल्लेबाजी का मोमेंटम बना हुआ है। चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए पहले वनडे में 64 रन पर चार विकेट पर बल्लेबाजी करने गए धोनी ने 79 रन की पारी खेल 280/7 रन तक पहुंचाया। वहीं छठे विकेट के लिए पांड्या के साथ 118 रन की साझेदारी भी की।
ऐसी ही कुछ श्रीलंका में भी हुआ था। धोनी पल्लेकल में भुवनेश्वर कुमार के साथ आठवें विकेट के लिए नाबाद 100 रन की साझेदारी की और टीम को जीत दिलाई। भुवी ने अर्धशतक जड़ा और धोनी 45 रन पर नाबाद रहे। मैच में भारत को जीत के लिए 231 रन बनाने थे। लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया के लिए शिखर धवन और रोहित शर्मा की ओपनिंग जो़ड़ी के बीच 109 रन की साझेदारी के बाद अकिला धनंजय की फिरकी में टीम इंडिया का मिडिल ऑर्डर फंस गया और 131 रन पर 7 विकेट तक पहुंच गया। ऐसे में धोनी ने भुवी के साथ मिलकर शतकीय साझेदारी की और टीम को 3 विकेट से जिताया।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क से जब धोनी के शानदार प्रदर्शन के बारे में पूछा गया और 2019 विश्वकप में उनके खेलने की संभावनाओं के बारे में जानने की कोशिश की तो क्लार्क ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और कहा- आप मुझसे ये मत पूछिए कि क्या वो 2019 का विश्वकप खेलेंगे? मेरे ख्याल से वो 2023 के विश्वकप में भी खेंलते नजर आएंगे।