विशाखापट्टनम: भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान अजिंक्य रहाणे वेस्टइंडीज दौरे से पहले खराब फॉर्म से गुजर रहे थे। लेकिन उन्होंने कैरेबियाई टीम के खिलाफ बल्ले से शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम इंडिया को आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप में शानदार शुरुआत दिलाने में अहम भूमिका अदा की। विराट कोहली और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत के हीरो रहे चेतेश्वर पुजारा के नाकाम रहने के बाद रहाणे ने युवा हनुमा विहारी के साथ मोर्चा संभाला और भारतीय टीम की जीत की पटकथा लिखने में अहम भूमिका भी अदा करने के साथ-साथ लंबे समय से चले आ रहे टेस्ट शतक के सूखे को भी खत्म किया।
ऐसे में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2 अक्टूबर से विशाखापट्टनम में तीन मैचों की टेस्ट सीरीज के आगाज से पहले भारतीय टेस्ट टीम के उपकप्तान ने अपने शतकों के सूखे को खत्म करने का राज साझा किया है। करियर के शुरुआती 39 टेस्ट मैच खेलने के बाद उनका औसत 48.13 का था और इस दौरान उनके बल्ले से 9 शतक निकले थे। लेकिन टेस्ट शतकों की संख्या को दो अंत तक पहुंचाने में उन्हें लंबा वक्त लगा। 2 साल में खेले 17 मैचों में उन्हें एक-एक रन बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान वो 24.85 के साधारण औसत से रन बना सके और पचास से ज्यादा टेस्ट खेलने के बाद भी शतकों की संख्या 2 अंक के आंकड़े तक नहीं पहुंच सकी।
वेस्टइंडीज दौरे पर बनाए 90 के औसत से रन
लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ हालिया टेस्ट सीरीज में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की। सीरीज का आगाज उन्होंने शानदार शतक के साथ किया। एंटिगा टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 102 रन बनाए। इसके बाद दूसरी पारी में भारतीय टीम 25 रन पर तीन विकेट गंवाने के बाद मुश्किल में आ गई थी। ऐसे में रहाणे ने एक बार फिर मोर्चा संभाला और 81 रन की पारी खेलकर भारत की जीत की संभावनाओं को पक्का किया। सीरीज की चार पारियों में रहाणे ने एक शतक और 2 अर्धशतक की मदद से 271 रन बनाए। सीरीज में उनका औसत 90.33 का रहा। वो हनुमा विहारी के बाद सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों की सूची में दूसरे पायदान पर रहे।
17 मैच तक किया था डेब्यू का इंतजार
रहाणे ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज से पहले कहा कि वेस्टइंडीज में शतक जड़ने के बाद वो काफी राहत महसूस कर रहे हैं। टेस्ट में मेरे बल्ले से शतक कब निकलेगा अब ये सवाल खत्म हो चुका है। ऐसे में उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि हर मैच, हर सीरीज आपको कुछ न कुछ सिखाती है। जब मुझे पहली बार टेस्ट टीम में शामिल किया गया था उस वक्त 2 साल और 17 मैच के बाद मुझे डेब्यू का मौका मिला था। और इस बार भी 17 मैच के बाद मैं शतक जड़ने में सफल हुआ हूं।’
17 मैच बाद बल्ले से निकला शतक
उन्होंने आगे कहा, इन 17 टेस्ट मैचों के दौरान जब मैं बल्लेबाजी कर रहा था और शतक तक नहीं पहुंच पा रहा था। मैं जितना शतक के बारे में सोच रहा था उतना ही वो मुझसे दूर जा रहा था। लेकिन जब मैं वेस्टइंडीज में बल्लेबाजी करने गया तब मैंने अपने आपको समझाया कि इस बार में शतक तक पहुंचने के बारे में नहीं सोचूंगा मुझे सिर्फ और सिर्फ बल्लेबाजी का लुत्फ उठाना है। टीम की स्थिति के अनुरूप बैटिंग करना मेरी प्राथमिकता थी और जब टीम की जरूरत थी तब मैंने बल्लेबाजी की और इसी दौरान शतक भी पूरा हुआ।’